वर्ण किसे कहते है ?
वर्ण :- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते है , जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते है।
जैसे :- क , ख , च , त , अ आदि।
वर्णो के भेद :-
वर्णो के मुख्यतः दो भेद है। 1. स्वर वर्ण 2. व्यंजन वर्ण
स्वर वर्ण :- वैसे वर्ण जो किसी अन्य वर्णो के सहायता के बिना ही उच्चारण किया जा सकता है , स्वर वर्ण कहते है। जैसे :- अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ आदि।
जिसका उच्चारण मूलतः कंठ , तालु से होता है।
ये दो प्रकार होते है :-
(क) मूल स्वर - अ , इ ,उ , ओ , आदि।
(ख) संयुक्त स्वर -ऐ ( अ + ए ) , औ ( अ + ओ )
मूल स्वर के दो भेद होते है।
ह्रस्व स्वर - जिनके उच्चारण में कम समय लगता है , जैसे अ , इ , उ आदि।
दीर्घ स्वर - वैसे स्वर जिनके उच्चारण में दुगुना समय लगता है , दीर्घ स्वर कहलाता है।
जैसे :- आ , ई , ऊ , ऐ , औ आदि।
हिंदी के लिए प्रयुक्त देवनागरी लिपी में कूल 52 वर्ण होते है , जिसमे ११ मूल स्वर , 33 मूल व्यंजन 2 उत्क्षित व्यंजन 2 अयोगवाह और 4 संयुक्ताक्षर व्यंजन होते है।
व्यंजन वर्ण - वैसे वर्ण जिनके उच्चारण में स्वर की सहयता ली जाती है , जैसे क , ख , च , ज आदि
इसके तीन भेद होते है -
1 . स्पर्श व्यंजन - स्पर्श व्यंजन में कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग , तवर्ग और पवर्ग होते है।
2 . अंतस्थ व्यंजन - इसमें चार व्यंजन य , र , ल ,व होते है।
3 . उष्म व्यंजन - इसमें भी चार व्यंजन होते है , श , ष , स , और ह होते है।
मात्राएँ - व्यंजन वर्णो के लिए उच्चारण हेतु जिन स्वरमूलक चिन्हो का प्रयोग होता , मात्राएँ कहते है , जो व्यंजनों में लगाकर सार्थक शब्द बनाये जाते है।
अन्य व्यंजन :-
अनुस्वार- अं विसर्ग- ाः संयुक्त व्यंजन - दो व्यंजनों को जोड़कर बने वर्ण संयुक्त वर्ण कहते है जैसे :- क + ष = क्ष
अनुतान व्यंजन - जिन वर्णो के उच्चारण में सूर अथवा तान के पीछे ध्वनि या सुर होता है।
स्थान वर्ण नाम
कंठ अ , आ , क , ख , ग , घ , आदि कण्ठ्य वर्ण
तालु इ , ई , च , छ , ज , झ , य , श आदि तालव्य वर्ण
मूर्धा ऋ , ड , ठ , ड , ढ , ण , र , ष मूर्धान्य वर्ण
दंत त , थ , द , ध , न , ल , स दंत वर्ण
ओष्ठ ऊ , उ , प , फ , ब , भ , म ओष्ठ्य वर्ण
कंठतालु ए , ऐ कंठताल्वय
कंठोष्ठ ओ , औ कंठस्त
दन्तोस्ठ व दंतोष्ट
वर्ण :- वर्ण उस मूल ध्वनि को कहते है , जिसके खंड या टुकड़े नहीं किये जा सकते है।
जैसे :- क , ख , च , त , अ आदि।
वर्णो के भेद :-
वर्णो के मुख्यतः दो भेद है। 1. स्वर वर्ण 2. व्यंजन वर्ण
स्वर वर्ण :- वैसे वर्ण जो किसी अन्य वर्णो के सहायता के बिना ही उच्चारण किया जा सकता है , स्वर वर्ण कहते है। जैसे :- अ , आ , इ , ई , उ , ऊ , ए , ऐ , ओ , औ आदि।
जिसका उच्चारण मूलतः कंठ , तालु से होता है।
ये दो प्रकार होते है :-
(क) मूल स्वर - अ , इ ,उ , ओ , आदि।
(ख) संयुक्त स्वर -ऐ ( अ + ए ) , औ ( अ + ओ )
मूल स्वर के दो भेद होते है।
ह्रस्व स्वर - जिनके उच्चारण में कम समय लगता है , जैसे अ , इ , उ आदि।
दीर्घ स्वर - वैसे स्वर जिनके उच्चारण में दुगुना समय लगता है , दीर्घ स्वर कहलाता है।
जैसे :- आ , ई , ऊ , ऐ , औ आदि।
हिंदी के लिए प्रयुक्त देवनागरी लिपी में कूल 52 वर्ण होते है , जिसमे ११ मूल स्वर , 33 मूल व्यंजन 2 उत्क्षित व्यंजन 2 अयोगवाह और 4 संयुक्ताक्षर व्यंजन होते है।
व्यंजन वर्ण - वैसे वर्ण जिनके उच्चारण में स्वर की सहयता ली जाती है , जैसे क , ख , च , ज आदि
इसके तीन भेद होते है -
1 . स्पर्श व्यंजन - स्पर्श व्यंजन में कवर्ग , चवर्ग , टवर्ग , तवर्ग और पवर्ग होते है।
2 . अंतस्थ व्यंजन - इसमें चार व्यंजन य , र , ल ,व होते है।
3 . उष्म व्यंजन - इसमें भी चार व्यंजन होते है , श , ष , स , और ह होते है।
मात्राएँ - व्यंजन वर्णो के लिए उच्चारण हेतु जिन स्वरमूलक चिन्हो का प्रयोग होता , मात्राएँ कहते है , जो व्यंजनों में लगाकर सार्थक शब्द बनाये जाते है।
अन्य व्यंजन :-
अनुस्वार- अं विसर्ग- ाः संयुक्त व्यंजन - दो व्यंजनों को जोड़कर बने वर्ण संयुक्त वर्ण कहते है जैसे :- क + ष = क्ष
अनुतान व्यंजन - जिन वर्णो के उच्चारण में सूर अथवा तान के पीछे ध्वनि या सुर होता है।
स्थान वर्ण नाम
कंठ अ , आ , क , ख , ग , घ , आदि कण्ठ्य वर्ण
तालु इ , ई , च , छ , ज , झ , य , श आदि तालव्य वर्ण
मूर्धा ऋ , ड , ठ , ड , ढ , ण , र , ष मूर्धान्य वर्ण
दंत त , थ , द , ध , न , ल , स दंत वर्ण
ओष्ठ ऊ , उ , प , फ , ब , भ , म ओष्ठ्य वर्ण
कंठतालु ए , ऐ कंठताल्वय
कंठोष्ठ ओ , औ कंठस्त
दन्तोस्ठ व दंतोष्ट
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